बेल सूख गई
मई का महीना था|
गर्मी पुरे जोर से पड़ रही थी| बंटी के घर के पिछवाड़े में करेले की एक बेल उगी थी|
करेले की बेल अपने आप ही पैदा हुई थी| उसे बोया नहीं गया था| बंटी ने देखा की
करेले की बेल बड़ी हो गई थी| वह उसे क्यारी में लगाना चाहता था|
‘अम्मा देखो! करेले
की बेल कितनी बड़ी हो गई है |’ बंटी ने करेले की बेल को अपनी अम्मा को दिखाते हुए
कहा|
‘हाँ बंटी! कितनी बड़ी
हो गई है| मैंने तो इसे देखा भी नहीं था |’ बंटी की अम्मा बोली| ‘अम्मा, मैं इसे
क्यारी में लगा दूँ? बंटी ने पूछा| ‘नहीं बंटी | अभी धूप है| इसे शाम के समय अच्छी
तरह जड़ से उखाड़ कर लगाना|’
‘अभी क्यों नहीं ?’
बंटी ने प्रश्न किया| ‘बंटी, एक बार कह दिया न, इसे शाम के समय अच्छी तरह जड़ से
उखाड़ कर लगाना |’ ‘इसे धूप छांव से क्या फर्क पड़ता है| मैं इसे अभी लगा दूंगा|’
‘अच्छा, तू जो मर्जी कर | समझाने से तू समझता नहीं |’ उसकी अम्मा जरा चिढ़ते हुए
बोली|
बंटी ने अपनी अम्मा
की बात नहीं मानी| उसने करेले की बेल को धूप में उखाड़ कर लगा दिया| करेले की बेल
को पानी भी दे दिया | उसने देखा कि दो तीन दिन बाद करेले की बेल सूख गई तो उसने
अपनी अम्मा से पूछा-‘अम्मा, करेले की बेल एकदम सूख गई है | मैं इसे रोज सुबह शाम
पानी भी देता रहा फिर भी यह कैसे सूख गई | यह बात मेरी समझ में नहीं आई |’
‘बेटा, मैंने तुम्हें
पहले ही समझाया था कि क्र=करेले की बेल को धूप में मत उखाड़ो | धुप की वजह से बेल
मुरझा गयी क्योंकि जहाँ से तुमने बेल को उखाड़ा था, वहाँ उसने जड़ें पकड़ रखी थीं |
अगर तुम इसे शाम के समय उखाड़ते तो इसके ऊपर धुप का इतना असर नहीं पड़ता| रात के समय
मौसम ठंडा रहता है| शाम को पानी देने से उसमें नमी आ जाती और करेले की बेल हरी भरी
हो जाती |’
‘अम्मा मुझे माफ़ कर
दो |’
‘बंटी आगे से ध्यान
रखना | बड़ो की बात भी माननी चाहिए |’
‘जी, अम्मा जी |’
बात बंटी को समझ आ
चुकी थी |
_अमर सिंह शौल,
गाँव व डाकघर-समैला,
तहसील
बलदबाड़ा, जिला मंडी
हिमाचल प्रदेश,
पिन – 175034

बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुतखूब
ReplyDeleteएक बार हम भी यही कर चुके हैं।
ReplyDeleteKnowledge and etiquette both are taught simultaneously. Superb sir
ReplyDeleteNice story
ReplyDeleteज्ञानवर्धक लेख। कृपया मात्राओं का विशेष ध्यान रखें।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर।
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