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Wednesday, 15 July 2020

ऑन लाइन ई पत्रिका *शिक्षा वाहिनी* में पढ़िए * छोटी काशी मण्डी हिमाचल प्रदेश* से एक बेहतरीन शिक्षिका नर्बदा ठाकुर जी की रचना देश के अन्नदाता की स्थिति को बयाँ करती ममस्पर्शी कविता *किसान*

किसान


यह तस्वीर किसान की 
पसीना बहाते उस इंसान की 
जो कर्जे में डूबे रहते हैं

ऐसे भगवान की है अन्नदाता है यह, सबका पालनहार है
पर खुद बेबस है ,लाचार हैं
लोग सोचते हैं किसान ही है
कोई भगवान नहीं है
बेबस लाचार हैं कोई बलवान नहीं है

चार दिन भूखे रह कर देखो तो मान जाओगे
किसान की कीमत पहचान जाओगे
अनाज़ नहीं होगा , तो क्या पैसा खाओगे
किसानों की कद्र करो नहीं तो पछताएओगे
रोटी के टुकड़े को तरसाओगे

तानाशाही की हद ने किसान को बेबस कर दिया
उसका घर खाली कर खुद का भर दिया
निर्दयता की हद होती है
किसानों को कमतर आॅ॑कते हो
तुम्हारी सोच कितनी छोटी है

जिसने उम्र गुजार दी धरती माॅ॑ के श्रृंगार में
आज पाई-पाई को मोहताज है वह दुनिया के बाजार में
तुम कहते हो किसान हैं खुदा नहीं
क्यों खता करते हो किसान भी उससे जुदा नहीं

किल्टे उठाने में जिसकी पीठ छलनी होती है
कमाता है दिन-रात खेतों में ,पर खुद के लिए नहीं रोटी है
अरे! क्यों भूल जाते हो उसकी भी नन्ही बेटी है
खेतों से जल्दी आना वह भी संदेशा देती है

मेहनत करके दिन रात फसलें उगाता है
इसकी कमाई का आधा हिस्सा बिचौलिया ले जाता है
देखो इसको यह और कोई नहीं दिन रात पसीना बहाता किसान है 
कर्ज में डूबे रहते है ऐसे इंसान है


रचनाकार.....
नर्बदा देवी  ठाकुर 
भाषा शिक्षिका रावमावि. कोट-तुंगल  
जिला मंडी हिमाचल प्रदेश
दूरभाष नं:-7018572001

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