माँ की ममता
माँ की ममता
निष्पक्ष और निस्वार्थ है
प्रेम, करुणा और वात्सल्य
जिसमें सागर की तरह भरा हुआ है
वो कुछ नहीं चाहती अपनी संतानों से
वो भूखी रह सकती है
रहती भी है,
सिर्फ इसलिये
कि उसकी संतान सुखी रहे
खुश रहे
उनके चेहरे पर हमेशा हंसी रहे
अपनी संतानों की खुशी में
माँ फुले नहीं समाती
माँ का हृदय धरती सा विशाल है
जो अपनी संतानों की अच्छाई बुराई को
सहर्ष स्वीकार करती है,
ऐसा नहीं कि वह कुछ नहीं कहती
कभी-कभी बिन बादलों सी बरस भी जाती है
इसलिए कि उसकी संतान अधिक मजबूत हो
ज्यादा कुछ भी नहीं चाहती माँ
अपने कार्यों से जब संतान माँ को
गौरवान्वित करती है
तब माँ की ममता तृप्त हो जाती है
डॉ. कविता बिजलवान
अध्यक्ष महिला साहित्यकार संस्था चम्बा इकाई
जिला मीडिया समन्वयक डाइट चम्बा

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