पढ़िये देश की शिक्षा, शिक्षकों व शिक्षार्थियों को समर्पित (ऑनलाइन ई पत्रिका) शिक्षा वाहिनी में जिला सीकर राजस्थान के बेहतरीन नवाचारी शिक्षक आदरणीय अब्दुल कलीम खान जी का 'बचपन' पर लिखा ये सुन्दर लघु लेख*
बचपन
मानव जीवन के विभिन्न पड़ाव में एक बचपन ही ऐसा पडाव है जिसकी यादें मानव को बार-बार प्रफुल्लित और पुलकित करती जाती है । बचपन वह समय होता है जिसमें किसी भी प्रकार की कोई सोचने विचारने की आवश्यकता नहीं होती सिर्फ खेलना और खाना यह दो ही कार्य होते हैं, यदि इन दोनों की पूर्ति पूर्णता नहीं होती तो फिर अपनी तुतलाती वाणी में रोना शुरू हो जाता और फिर परिवार जन का मनाने के लिए प्रयत्न हो जाता है।
बचपन यार तेरे भी क्या दिन थे किसी प्रकार की कोई चिंता न घबराहट और सबसे इतना प्यार मिलता था ।आज जब मैं बचपन की दहलीज को पार करके प्रौढ़ावस्था में पहुंच चुका हूं लेकिन मुझे वह खेलना वह कूदना वह चिल्लाना वह भागना आज भी याद आता है । सारे सारे दिन भर ना भूख लगती थी और ना प्यास लगती थी सिर्फ यार दोस्तों की मंडली में गप्पे लडाना खेलना लगा रहता था।
बचपन तू तो बचपन ही रहा बचपन में गुजारे और मीठे लम्हात आज भी याद आते हैं तो दिल सहम जाता है। आजा रे अरे लौट के आजा अरे कहां चला गया मेरा प्यारा बचपन ।
अब तो आ रही है जल्दी ही उम्र 55 अरे मेरे बचपन आजा मीठी यादों को अपने संग ले आ|
बचपन बेचारा भी कहां आता|
है अरे नादान गया वक्त हूं कभी लौट कर ना आया हूं ना आऊंगा । अब तो सिर्फ यादों में ही रह जाऊंगा ।
अब्दुल कलीम खान
मुकाम पोस्ट दायरा वाया खंडेला जिला सीकर राजस्थान मोबाइल नंबर
97 84 350 681
धन्यवाद जय हिन्द...
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