शिक्षा
शिक्षा शब्द है, महत्वपूर्ण,
इसमें छिपा है, महत्वपूर्ण,
विकास इसी से, होता सबका,
वंचित इससे बड़ा तबका।
इसके बिना,विकास ना होता,
बिना इसके, हर कोई रोता,
अर्थ शिक्षा का,बड़ा है विस्तृत,
पढ़ने लिखने तक, नहीं सीमित।
संपूर्ण मनुष्य,को है बनाती,
प्रबल उसको है, कर जाती,
आत्मनिर्भर है बना पाती,
वही तो शिक्षा कहलाती।
संस्कारित मनुष्य को,जो करते दे,
परिवर्तन पशुता में,वह कर दे,
आत्म प्रेरणा से,वह भर दे,
बहुत अर्थ यह शिक्षा दे।
वास्तव में,जो शिक्षित होगा,
जीवन में प्रशिक्षित होगा,
करेगा कल्याण, स्वयं का,
साथ ही कर देगा,जन-जन का|
ऐसा हथियार मित्रों शिक्षा,
जो इसको प्रयोग करेगा,
क्रांति आएगी स्वयं जीवन में,
कृतार्थ स्वयं को करेगा।।
किरन कुमार,चम्बा,हि.प्र.

Thanks g
ReplyDeleteस्वागत है आपका|
ReplyDeleteBahut hi sunder
ReplyDeleteAtal aaya bhav sir
ReplyDeleteAtal satya bhav sir
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeletebahut badhiya ji
ReplyDeleteWah sir bahut khoob...bahut khoobsurti se likhi hai apne ye kavita...hmari aj ki pidhi ko ap jaise sikshkon ki bahut jrurt hai....
ReplyDeleteबहुत खूब गुरु जी
ReplyDeleteUnbeatable poetry
ReplyDeleteआप सभी का हृदय तल से आभार।
ReplyDeleteसबका आभार यूं ही साथ बनाएं रखें!!
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