Search This Blog

Tuesday, 1 October 2024

किशोर कालिया ज्ञान सरिता सम्मान से सम्मानित

 किशोर कालिया ज्ञान सरिता सम्मान से सम्मानित 



हाल ही में हुए ज्ञान सरिता साझा बाल काव्य पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में अध्यापक किशोर कालिया को ज्ञान सरिता सम्मान से नवाजा गया। यह सम्मान उन्हें पुस्तक में अपने योगदान के रूप में रचनाएं देने के लिए दिया गया। 


इस सम्मान को उन्होंने ज्ञान सरिता के संपादक और उप संपादक श्री युद्ध वीर टंडन और किरण कुमार वशिष्ठ की उपस्थिति तथा उपस्थित मुख्य अतिथि श्री विपिन राठौर के कर कमलों द्वारा प्राप्त किया। 


इस सम्मान समारोह के अवसर पर एक काव्य गोष्ठी का आयोजन भी किया गया था जिसमें इन्होंने चंदा मामा और चंबे रे चौगाना जैसी मनमोहक रचनाएं भी पेश की। उनकी रचनाओं ने उपस्थित कवियों और श्रोताओं की खूब वाहवाही लूटी।


यह सामान प्राप्त होने पर उन्होंने अपनी खुशी जाहिर की और यह सम्मान उन्होंने अपनी माताजी और परिजनों को समर्पित किया।

Sunday, 22 September 2024

राष्ट्रीय बेटी दिवस 2024 के अवसर पर पढ़िए हिमाचल के वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय श्री उदय वीर भारद्वाज जी की बेमिसाल रचना बेटी का सवाल

                     बेटी का सवाल



      बेटी के मन में आया एक सवाल

                  मेरा घर कहां ?

           अंगना मां बाप के पली 

                   लाड प्यार से 

               सखियों संग खेली 

                     हुई बड़ी 

             लाडली भाई बहनों की 

              कहते सब पराया धन 

            यह कैसी अबूझ पहेली  ?

                पूछ बैठी पिता से 

         आंखें भर प्यार से समझाया 

                  लाडो है तू मेरी 

          रिवायत है दुनिया की बेटी 

             ससुराल ही  घर तेरा

       रख पाऊं सदा तुझे पास अपने 

          ऐसी  मेरी औकात कहां 

              ससुराल में भी तो 

       बेगाने घर से आई कहलाऊंगी

      उदास हुई बेटी मिला चैन नहीं

                 पुकारा प्रभु को 

                 जगाया प्रभु को 

               किया यही सवाल 

               ए पालनहार बता 

            न यहां की न  वहां की 

                 मेरा घर कहां  ?

              पीहर या ससुराल  ?

       सुन ध्यान से प्रभु मुस्कुराए 

             आंसू अपने छुपाए 

                   कहा बेटी 

        रचना मेरी अनमोल है तू 

   सूत्रधार दुनिया की  - मेरे अहम की

           कोई तुझे घर कैसे दे 

        यह इंसान के बस में नहीं 

     मुझसे पैदा अमूल्य रचना तू 

   रौनक तुम्हीं से जीवन तुम्ही से 

        ममता त्याग तुम्ही से 

    सहनशीलता निष्ठा तुम्ही से

 मां बहन पत्नी प्रेयसी गुरु ममता 

        आदि अनंत तुम्ही से 

    नदी झरनों की कल कल 

     कोयल का मधुर संगीत 

         फूलों की खुशबू

      जीवन धारा तुम्ही से 

                  बेटी

     इंसान को संवारने वाली 

     सृष्टि को निखारने वाली

    रचना मेरी अनमोल है तू 

        घर बार तू बसाती 

    बस में कहां इंसान के 

         घर तुझे दे पाए 

 मेरी उम्मीद मेरा अभिमान तू 

    कण -कण जन्मा मुझसे  

     मेरे शरीर में समाई तू 

       देवी स्वरूपा है तू

    दुनिया की जान है तू

 रचना मेरी अनमोल है तू

 रचना मेरी अनमोल है तू 


 मौलिक रचना 

उदयवीर भारद्वाजq 

भारद्वाज भवन 

मंदिर मार्ग कांगड़ा 

हिमाचल प्रदेश

 पिन 176001

 मोबाइल 94181 87 726

Monday, 22 July 2024

चम्बा जिला के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला सिलाघ्राट के छात्र मुहम्मद नज़ीर का आइडिया जो इंस्पायर नाम हुआ चयनित प्रधानाचार्य भूपेन्द्र सिंह का मिला मार्गदर्शन

 जानवर नहीं पहुंचा पाएंगे अब फसलों को नुकसान, 

जब ये सौर और पवन ऊर्जा रक्षक लगाएंगे किसान


प्रधानाचार्य भूपिंदर सिंह एवं नवोन्मेषी छात्र नजीर मुहम्मद
प्रधानाचार्य भूपिंदर सिंह एवं 
नवोन्मेषी छात्र नजीर मुहम्मद

वीडियो के लिंक पर क्लिक करें 


सरकारी विद्यालयों में प्रतिभा की कोई भी कमी नहीं जरूरत है तो बस सही मार्गदर्शन की और ऐसा ही मार्गदर्शन राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला शिलाघाट जिला चंबा में नजीर मोहम्मद को पाठशाला के प्रधानाचार्य भूपेंद्र सिंह द्वारा मिला और बच्चे ने एक ऐसा मॉडल तैयार करके पेश किया जिसका इंस्पायर मानक में चयन हुआ है।


इस मॉडल की खास बात यह है कि यह मॉडल जानवरों द्वारा फसलों को पहुंच जाने वाले नुकसान को रोकने का एक कारगर उपाय प्रस्तुत करता है। इस मॉडल में दिखाया गया है कि कैसे बिना विद्युत ऊर्जा का प्रयोग किए हुए सौर एवं पवन ऊर्जा के माध्यम से खेतों की फेंसिंग को अलार्म सिस्टम के साथ जोड़ा जाएगा ताकि जैसे ही कोई पशु खेत में घुसने का प्रयास करता है तो अलार्म बजने पर पशु स्वयं ही आवाज सुनकर पीछे हट जाएगा या खेत मालिक वहां जाकर पशुओं से अपनी फसलों की रक्षा कर पाएंगे। इतना ही नहीं इस मॉडल में सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें किसी तरह के इलेक्ट्रिक शॉक का प्रयोग नहीं किया गया है यानी जानवरों को किसी भी तरह का करंट लगने की संभावना नहीं है जिससे कि यह मॉडल ह्यूमैनिस्टिक वैल्यू, क्रिटिकल थिंकिंग कोलैबोरेशन एवं प्रोबलम सॉल्विंग जैसी 21वीं सदी के कौशलों पर भी खरा उतरता है। 


शिक्षा वाहिनी ऑनलाइन शैक्षिक ई-पत्रिका ऐसे शिक्षकों के प्रयासों को सलाम करती है और यह आशा करती है कि इस तरह के प्रयास ही देश की सरकारी शिक्षा की तस्वीर को बदलने में कारगर सिद्ध होंगे।


धन्यवाद जय हिंद जय सरकारी विद्यालय

Sunday, 21 July 2024

शिक्षा में नवाचारी गतिविधियों की प्रासंगिकता पर आधारित राजीव थपलियाल जी का ये लेख पढ़ें ऑनलाइन शैक्षिक ई पत्रिका शिक्षा वाहिनी में

शिक्षा में नवाचारी गतिविधियों की प्रासंगिकता             


हम सभी इस बात से भली-भाँति परिचित हैं कि,नवाचार (नव+आचार)किसी प्रक्रिया में कुछ अतिरिक्त प्रयास करके,परिवर्तन लाने से है। नवाचार के अंतर्गत हम लोग कुछ नया और उपयोगी करने के लिए बड़े उत्सुक रहते हैं।जैसे पठन-पाठन को ज्यादा रूचिकर औए प्रभावी बनाने के लिए कोई नई विधा  या नई तकनीक अपनाना।यह तो सर्वविदित है कि,प्रत्येक वस्तु या क्रिया में परिवर्तन प्रकृति का शाश्वत नियम है परिवर्तन से ही विकास के चरण निरन्तर आगे बढ़ते हैं परिवर्तन एक जीवंत गतिशील एवं आवश्यक प्रक्रिया है जो समाज को वर्तमान व्यवस्था के प्रति और अधिक  उपयोगी तथा सार्थक बनाती है। इन सभी तथ्यों/बातों से नवचेतना और उत्सुकता का संचार होता है इसकी प्रक्रिया विकासवादी और नावगत्यात्मक होती है।इसमें तनिक भी संदेह नहीं है कि,परिवर्तन और नवाचार एक दूसरे के पारस्परिक पूरक या पर्याय है।हम सभी को यह जानकारी भी होनी ही चाहिए कि,"नवाचार कोई नया कार्य करना ही मात्र नहीं है वरन किसी भी कार्य को नए तरीके से करना भी नवाचार है " हम सभी लोग महसूस करते हैं कि,

     व्यक्ति और समाज में हो रहे परिवर्तनों का प्रभाव शिक्षा पर भी पड़ा है शिक्षा को समयानुकूल रोचक बनाने के लिए शैक्षिक विधाओ में नवाचार ने अपनी उपयोगिता और सार्थकता स्वयं सिद्ध कर दी है। महान विचारक

  ट्रायटेन के अनुसार -"शैक्षिक नवाचारों का उद्भव स्वतः नहीं होता बल्कि उन्हें खोजना पड़ता है तथा सुनियोजित तरीके से इन्हें प्रयोग में लाना होता है ताकि शैक्षिक कार्यक्रमों को परिवर्तित परिवेश में तीब्र गति मिल सके और परिवर्तन के साथ गहरा तारतम्य बनाया जा सके " इस प्रकार नवाचार एक नवीन विचार है एक व्यवहार है अथवा वस्तु या फिर कोई नया तरीका है जो नवीन और वर्तमान का गुणात्मक स्वरूप है। नवाचार की परिस्थितियाँ हर क्षेत्र में अलग अलग अर्थ बताती हैं इनके प्रयोग के तरीके भी अलग अलग रूप में प्रयोग में लाये जाते हैं। एक दूसरे विचारक  टी.पी. राव ने नवाचार को लेकर अपनी बात इस तरह से रखी -"किसी उपयोगी कार्य के लिए किसी व्यक्ति या निकाय के द्वारा किया गया विचार अथवा अभ्यास नवाचार कहलाता है" सभी कार्य ऐसे होते हैं जो पहले कहीं न कहीं किसी न किसी के द्वारा

 अभ्यास में लाये गए हों नवाचार कहलाता है" कहने का आशय यह है कि,सभी कार्य ऐसे होते हैं जो पहले किसी न किसी के द्वारा पूर्व में किये जा चुके हैं,परंतु यदि हमने अपने छोटे-छोटे प्रयासों से पूर्व में किये गए कार्य को यदि अपनी नई रचनात्मक तथा सृजनात्मक शैली प्रदान कर दी और उसे बेहतरीन बना दिया तो हमारा यही प्रयास नावचार बन जाता है।

    कई बार  हमारे सामने एक यक्ष प्रश्न खड़ा हो जाता है कि नवाचार की आवश्यकता क्यों है तो इस सम्बन्ध में--  राबर्ट मर्डोक का कथन सटीक बैठता है कि "दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है अब बड़े छोटों को हरा नहीं पायेंगे अब जो तेज है वो धीमे चलने वाले को हराएंगे" यदि हमें अपने छात्रों की उन्नति करनी है तो हमें छात्रों का नामांकन ,उपस्थिति और ठहराव बढ़ाने के साथ साथ ही रोचक शिक्षण की पद्धतियों में परिवर्तन लाना ही होगा। जिस प्रकार आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है ठीक उसी प्रकार आज शिक्षण पद्धतियों में बदलाव छात्रों को विद्यालय लाने के तरीकों में परिवर्तन नितान्त आवश्यक है।  गुरुजनों का मधुर व्यवहार छात्रों के प्रति सुखद व सकारात्मक व्यवहार शैक्षिक लक्ष्यों की प्राप्ति में एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाहन करते है |

                      यह बात बड़ी दीगर है कि कुछ बदलाव करने के लिए, समाज की बेहतरी के लिए जो ठोस कदम उठाए जाते हैं, जो नवाचार प्रयोग में लाये जाते हैं,शुरुआती दौर में कठिन मेहनत तो करनी पड़ती है कुछ कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ता है लेकिन इसका आशय ये कतई नहीं है कि हम नई पद्धतियों को न स्वीकारें। क्योंकि  नवाचार में या तो सफलता मिलेगी वरना एक नया अनुभव अवश्य ही मिलेगा जो आगामी रणनीति में उपयोगी होगा। हमें परंपरागत विधियों के अतिरिक्त नवीन विधाओं को अपनाना होगा क्योंकि परिवर्तन सार्वभौमिक सत्य है।इस परिप्रेक्ष्य में महान वैज्ञानिक डार्विन का यह नियम कितना सार्थक लगता है कि,"प्रकृति उन्हीं को जीने का अधिकार देती है  जो जीवन संघर्ष में सफल होते हैं" यह नियम लगभग सभी जगह लागू होता है इसलिए स्वयं के अस्तित्व की खातिर,अपने शैक्षिक कौसलों के विकास की खातिर,हम सभी शिक्षक साथियों को नवाचार स्वीकारने ही होंगे,और एक नई दिशा और दशा देने हेतु भागीरथ प्रयास करने होंगे।

                    

नवाचार की कुछ खास विशेषताओं से रूबरू होने का प्रयास करते हैं--

1-शैक्षिक नवाचार में क्रियाशीलता की प्रवृत्ति उपस्थित होती है।

2-.यह प्रयास पूर्ण किया जाने वाला कार्य है।

3.-नवाचार के द्वारा वर्तमान विधियों और परिस्थितियों में सुधार लाने का प्रयास किया जाता है।

4.-शिक्षा में नवाचार के माध्यम से नवीनतम तकनीकों को विद्यालय में पहुँचाया जाता है। तभी

नवीन शिक्षण तकनीकों के माध्यम से बच्चों का सर्वांगीण विकास सम्भव, हो पाता है।


शैक्षिक नवाचार के सामान्य उद्देश्यों पर एक दृष्टि डाल लेते हैं।

1.-शिक्षा में नवाचार के माध्यम से अधिगम प्रक्रिया को सरल बनाया जाता है।

2-.बच्चों का सर्वांगीण विकास किया जाता है, जिससे बच्चों की अंर्तनिहित शक्तियों का विकास हो सके।

3-.छात्रों और शिक्षकों के अंदर नवीनतम वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास हो सके। जिससे वे लोग समाज में पनपते अंधविश्वास और कुरूतियों से हमेशा दूर रहें।

4.-शिक्षा में शैक्षिक नवाचारों के प्रयोग का मुख्य उद्देश्य शिक्षा व्यवस्था को शानदार ढंग से विश्व स्तरीय प्रतिस्पर्धा में आगे पहुंचाना है जिससे कि संसार में हमारे भारत वर्ष की शिक्षा प्रणाली आदर्श रूप में जानी जा सके।

                                               

                                             नवाचार का हमारे लिए महत्व.......



1,--मूल्य शिक्षा के क्षरण को रोकने के लिए

2,--आपसी सद्भाव बढाना,मिलजुल कर कार्य करने पर जोर देना

3--परिवर्तन के अनुसार शिक्षा प्रणाली अपनाना

4--अनेक समस्याओं का समाधान

5,--शिक्षण अधिगम प्रक्रिया की          प्रभावशीलता के लिए

6,--ज्ञान का स्थायित्व

7--शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु

8--शिक्षण अधिगम सामग्री के बेहतर प्रयोग के लिए

9--छात्रों के सर्वांगीण विकास के साथ साथ विभिन्न प्रकार के कौशलों का विकास के लिए

 10--नवीन शिक्षण विधियों के ज्ञान , तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास हेतु

11--शिक्षा व्यवस्था में सुधार व

अनुसंधान के लिए

12--मनोविज्ञान के सिद्धांतों के प्रयोग के लिए।


शैक्षिक नवाचार की आवश्यकता को हम इस तरह से देख सकते हैं।

1,---मानव संसाधन का विकास करने हेतु।

2 -सामाजिक परिवर्तन के अनुसार शिक्षा तथा रोजगार के अवसरों में वृद्धि हेतु।

                                              शैक्षिक नवाचार के क्षेत्र मेरे नजरिये में इस प्रकार से हैं।



1--शिक्षण अधिगम 

2--पाठ्य सहगामी क्रियाकलाप 

3--सामुदायिक सहभागिता 

4--विद्यालय प्रबंधन

5--विषयगत कक्षा -शिक्षण एवं समसामयिक दृष्टिकोण का पदार्पण।                                                                            

 ( नोट,-- इस आलेख को तैयार करने में इंटरनेट तथा अन्य संदर्भो की मदद भी ली गई है।)      

                                            












 संग्रह एवं प्रस्तुति --                 

  राजीव थपलियाल                     

  प्रधानाध्यापक                         

राजकीय प्राथमिक विद्यालय

 मेरुड़ा जयहरीखाल                              

  पौड़ी गढ़वाल                      

  उत्तराखंड

Sunday, 12 May 2024

माँ की ममता डॉ. कविता बिजलवान

 माँ की ममता



माँ की ममता 

निष्पक्ष और निस्वार्थ है 

प्रेम, करुणा और वात्सल्य

जिसमें सागर की तरह भरा हुआ है 

वो कुछ नहीं चाहती अपनी संतानों से 

वो भूखी रह सकती है 

रहती भी है, 

सिर्फ इसलिये 

कि उसकी संतान सुखी रहे 

खुश रहे 

उनके चेहरे पर हमेशा हंसी रहे

अपनी संतानों की खुशी में 

माँ फुले नहीं समाती 

माँ का हृदय धरती सा विशाल है 

जो अपनी संतानों की अच्छाई बुराई को 

सहर्ष स्वीकार करती है, 

ऐसा नहीं कि वह कुछ नहीं कहती 

कभी-कभी बिन बादलों सी बरस भी जाती है 

इसलिए कि उसकी संतान अधिक मजबूत हो 

ज्यादा कुछ भी नहीं चाहती माँ 

अपने कार्यों से जब संतान माँ को 

गौरवान्वित करती है 

तब माँ की ममता तृप्त हो जाती है


डॉ. कविता बिजलवान

अध्यक्ष महिला साहित्यकार संस्था चम्बा इकाई

जिला मीडिया समन्वयक डाइट चम्बा



Saturday, 11 May 2024

मातृ दिवस पर उत्तराखंड के शिक्षक राजीव थपलियाल जी का बेहतरीन आलेख

 मातृ दिवस (मदर्स डे )     


                  ...........................................     यह तो हम सभी लोग भली-भांति जानते ही हैं कि माँ,माताजी जैसे शब्दों में ममता का सार छुपा हुआ होता है। माँ,मम्मी,और अम्मा जैसे शब्द भी एक बच्चे के जीवन को नई दिशा और दशा देते हैं,और निस्वार्थ प्रेम की परिभाषा पूरी दुनिया को बताते हैं। इसमें तनिक भी संदेह नहीं है कि,एक माँ बच्चे की सबसे पहली टीचर होती है।अक्सर  वह अपने बच्चे की बेस्ट फ्रेंड का रोल भी निभाती है। यूं तो माँ के एहसास को जानने के लिए किसी खास दिन की आवश्यकता नहीं होती है।क्योंकि अपनी माँ के साथ तो हर दिन बेहद खास होता है।लेकिन माँ की उपस्थिति और उनकी ममता को महसूस करने के लिए मई महीने में मदर्स डे (Mother's day) बड़े ही जोश, उमंग और असीम उत्साह के साथ मनाया जाता है। आइए इसके पीछे का इतिहास जानने का थोड़ा सा प्रयास करते हैं।हर साल मई महीने में मदर्स डे मनाया जाता है और इस वर्ष 12 मई  2024 (रविवार) को यह खास दिवस मनाया जाएगा। यह दिवस सिर्फ कुछ देशों में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में उतने ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है जितना कि, हमारे देश भारतवर्ष में। *मदर्स डे को मनाने के पीछे हमारे जीवन में माँ की महत्ता को दर्शाना है*। अगर इसके इतिहास के विषय में बात की जाए तो जानकारों के अनुसार पहली बार मदर्स डे सन 1908 में फिलाडेल्फिया के एना जार्विस द्वारा मनाया गया था।उन्होंने वेस्ट वर्जीनिया के ग्राफ्टन चर्च में अपनी स्वर्गवासी माँ के लिए एक मेमोरियल रखा था। एना जार्विस ने सफेद कार्नेशन पहने थे। लेकिन जैसे-जैसे रीति- रिवाज विकसित हुए वैसे-वैसे लोगों ने अपनी माँ के लिए लाल या गुलाबी रंग के कार्नेशन भी पहनने शुरू किये।

वर्ष 1914 में यूएसए के प्रेसिडेंट वुडरो विल्सन ने मदर्स डे (Mother's Day) को नेशनल हॉलिडे घोषित कर दिया। यह सिलसिला कई वर्षों तक चला और कुछ समय बाद लोगों ने दादी और चाची जैसे अन्य लोगों को भी मदर्स डे के सेलिब्रेशन में शामिल करना शुरू कर दिया। लोगों ने ऐसा शायद इसलिए किया होगा ,क्योंकि उन महिलाओं ने भी एक माँ की भूमिका निभाई है।मदर्स डे दुनिया के विभिन्न हिस्सों में सभी माताओं के प्रति सम्मान,केयर और प्यार व्यक्त करने के लिए मनाया जाने वाला एक अवसर है।इस दिन को हम सभी लोग हमारी जिंदगी में एक माँ की भूमिका को सेलिब्रेट करने के लिए मनाते हैं।



यह अवसर सभी को अपनी माँ और अपने आसपास की माताओं के लिए कुछ खास एवं यादगार बनाने  का एक मौका देता है।इस अवसर पर इस बात का बेहद ध्यान रखना जरूरी है कि, अपनी माँ का शुक्रिया अदा करने के लिए केवल एक दिन काफी नहीं हो सकता।अपनी माँ के लिए हर दिन खास बनाने की यदि हम सब कोशिश करें तो घर परिवार का माहौल बहुत ही खुशनुमा हो जाएगा। हम सभी की यह कोशिश होनी चाहिए कि,अपनी माँ की आँखों में कभी भी आँसू न आने दें।और उन्हें हर सम्भव खास होने का एहसास दिलाते रहें।                         👉कुछ ऐसी भी पौराणिक मान्यताएं हैं कि ,मातृ दिवस की उत्पत्ति प्राचीन ग्रीस से हुई,जहां देवताओं की माँ रिया का त्योहार मार्च के मध्य में मनाया जाता था। ईसाई परंपराओं ने बाद में यीशु की माँ मैरी को सम्मानित करने के तरीके के रूप में उत्सव को अपनाया,और इसका नाम बदलकर मदरिंग संडे कर दिया।अंतर्राष्ट्रीय मातृ दिवस अब सभी देशों में एक सार्वभौमिक उत्सव है।

👉मातृ दिवस 2024 माताओं के प्यार और समर्पण को समर्पित है और इस मौके पर यह भी स्वीकार किया जाता है कि,प्रत्येक माँ अपने बच्चों की परवरिश,अपने परिवारों और समुदायों में योगदान देने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिकायें अदा करती है।यह उन माताओं को याद करने और सम्मानित करने का भी समय है जो गुजर चुकी हैं।


👉मातृ दिवस 2024 माताओं को उनके बिना शर्त प्यार,देखभाल और मार्गदर्शन के लिए कृतज्ञता और सम्मान,हमारे जीवन को आकार देने में माताओं की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करने और उनके अटूट समर्थन और प्रोत्साहन हेतु एक बेहतरीन अवसर है।

👉मातृ दिवस 2024 माताओं और उनके बच्चों के बीच बंधन का जश्न मनाने और पारिवारिक संबंधों को मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है।यह उपहार,कार्ड और विशेष भोजन जैसे विभिन्न माध्यमों से प्यार और प्रशंसा व्यक्त करने और माताओं के साथ गुणवत्तापूर्ण समय बिताने का दिन भी है।


👉दुनिया भर में लोग मदर्स डे को कई तरीकों से मनाते हैं, जैसे कि फूल और उपहार देना,कुछ विशेष भोजन पकाना या उन्हें बाहर घुमाने ले जाना। यह हमारी माताओं को एहसास कराने का दिन है कि, वे हमारे लिए  कितना मायने रखतीं हैं और हम अपने जीवन में उनकी उपस्थिति की कितनी कीमत समझते हैं।                                    (नोट- इस आलेख को तैयार करने में अन्य संदर्भों की मदद भी ली गई है।)                                                             




संग्रह एवं प्रस्तुति -                                                 राजीव थपलियाल                                      (प्रधानाध्यापक)                                                 राजकीय प्राथमिक विद्यालय मेरुड़ा                          संकुल केंद्र-मठाली                                         विकासखंड-जयहरीखाल                                      जनपद-पौड़ी गढ़वाल                                        उत्तराखंड।