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Saturday, 18 September 2021

स्वच्छता एवं साफ़ सफाई के मायने उत्तराखंड के बेह्तरीन अध्यापक श्री राजीव थपलियाल जी का लिखा यह लेख ऑन लाइन पत्रिका शिक्षा वाहिनी में|

 स्वच्छता के मायने साफ-सफाई  




विद्यार्थियों के संदर्भ में, यदि मैं बात करूं तो अक्सर हम लोग कक्षा-कक्ष में कहा करते हैं कि, यदि जीवन भर स्वस्थ और निरोगी रहना है तो अपनी स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना होगा। क्योंकि,साफ-सफाई हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह बात बिल्कुल सोलह आने सच  है कि, स्वच्छता हमारे जीवन की प्राथमिकता भी है और आवश्यकता भी। स्वच्छता जरूरी है क्योंकि साफ-सफाई से हम जीवन में आने वाली कई परेशानियों से मुक्ति पा सकते हैं। 
जहां तक मैं समझता हूँ,स्वच्छता का मूल अर्थ है साफ सफाई से रहने की आदत का निर्माण करना। सफाई से रहने से जहां शरीर स्वस्थ रहता है, वहीं स्वच्छता तन और मन दोनों को खुशी प्रदान कर चार चाँद लगा देती है। स्वच्छता जैसे गंभीर विषय को, सभी लोगों को अपनी दिनचर्या में अवश्य ही शामिल करना चाहिए।                                 राष्ट्रपिता महात्मा गांधी स्वच्छता के संबंध में अक्सर कहा करते थे कि- "स्वच्छता ही सेवा है और हमारे जीवन में स्वच्छता की बहुत जरूरत है"। गंदगी हमारे आसपास के वातावरण और जीवन को प्रभावित करती है। हमें व्यक्तिगत व अपने आसपास भी सफाई अवश्य रखनी चाहिए और दूसरों को भी इसके  लिये लगातार प्रेरित करते रहना चाहिये।                                  स्वच्छता के महत्व को हम कोविड-19 की कुछ घटनाओं से भी समझ सकते हैं।कोरोना काल में रोगियों की बढ़ती जनसंख्या एवं अस्पतालों में साफ-सफाई पर ध्यान देने की आवश्यकता से यह बात और भी स्पष्ट हो गई है कि, जीवन में स्वच्छता की कितनी जरूरत है। 
 स्वच्छता एक अच्छी आदत है जो हमारे जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाती है। यह हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है। हमारे लिए शरीर की स्वच्छता  बहुत जरूरी है, जैसे रोज नहाना, स्वच्छ कपड़े पहनना, दांतों की सफाई करना, नाखून काटना, आदि। इसके लिए हमें प्रतिदिन सुबह जैसे ही हम सोकर उठते हैं, अपने दांतों को साफ करना चाहिए। चेहरा तथा हाथ पैर धोना चाहिए। साथ ही स्नानादि और दैनिक क्रियाओं को समय पर पूर्ण करना चाहिए।
यह तो हम सभी भली-भांति जानते ही हैं कि,स्वस्थ रहना शांति से जीवन जीने का एक बहुत ही अच्छा गुण है। इसके लिए घर के बड़े-बुजुर्गों और माता-पिता को अपने बच्चों में इस आदत को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि वे स्वच्छता के महत्व को ठीक से समझ सकें।
 स्वच्छ भारत अभियान-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 02 अक्टूबर 2014 को महात्मा गांधी की 145 वीं जयंती के मौके पर चलाया गया एक महत्वपूर्ण अभियान है। यह अभियान नई दिल्ली के राजघाट से शुरू किया गया था। यह एक राष्ट्रीय स्तर का अभियान है और भारत सरकार द्वारा लगातार चलाया जा रहा है। वर्तमान समय में भी स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत कई योजनाएं शामिल की गई हैं, जिसमें ग्रामीण परिवेश में रहने वाले लोगों के घरों में शौचालाय निर्माण प्रमुख है।जिससे लोग अपने आस पास की स्वच्छता का महत्व समझेंगे और वातावरण को स्वच्छ बनाए रखने में अपना लगातार योगदान देते रहेंगे।
स्वच्छता को लेकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कितनी दीगर बात कहा करते थे।
👉 1. महात्मा गांधी ने कहा था कि राजनीतिक स्वतंत्रता से ज्यादा जरूरी स्वच्छता है।
👉 2. यदि कोई व्यक्ति स्वच्छ नहीं है तो वह स्वस्थ नहीं रह सकता है।
👉 3. बेहतर साफ-सफाई से ही भारत के गांवों को आदर्श बनाया जा सकता है।
👉 4. शौचालय को अपने ड्रॉइंग रूम की तरह साफ रखना जरूरी है।
👉 5. नदियों को साफ रखकर हम अपनी सभ्यता को जिंदा रख सकते हैं।
👉 6. अपने अंदर की स्वच्छता पहली चीज है जिसे खूब बढ़ावा मिलना चाहिए। 
👉 7. हर व्यक्ति को अपने घर का कूड़ा प्रतिदिन खुद साफ करने का प्रयास करना चाहिए।
👉 8. मैं किसी व्यक्ति को गंदे पैर के साथ अपने मन से नहीं गुजरने दूंगा।
👉 9. महात्मा गांधी जी कहा करते थे कि ,अपनी गलती को सहर्ष स्वीकारना झाड़ू लगाने के समान है जो सतह को चमकदार और साफ कर देता है।
👉 10. स्वच्छता को अपने आचरण और व्यवहार में इस तरह अपना लो कि, वह आपकी बेहतरीन आदत बन जाए।


                                                   
चलिए अब हम एक और गंभीर पहलू पर्यावरण पर प्लास्टिक से होने वाले  खतरों के संदर्भ में भी थोड़ा-थोड़ा बातचीत कर लेते हैं। यह तो हम सभी लोग भली-भांति जानते ही हैं कि प्लास्टिक मानव जीवन में लगातार जहर घोल रहा है। मानव सुबह से लेकर शाम तक प्लास्टिक का उपयोग करता है,और इसे वरदान की तरह समझता है दरअसल यह हमारे पर्यावरण, पशु और हम सभी के लिए बहुत ही घातक है। प्रकृति में संतुलन बनाए रखने के लिए तथा आसपास के वातावरण को स्वच्छ बनाए रखने के लिए खूब सारे पेड़-पौधे लगाना बहुत ही आवश्यक है,और साथ ही प्लास्टिक बंद करने का आह्वान कर कुछ कानून बनाये जाने भी नितांत आवश्यक है ताकि प्लास्टिक के प्रयोग पर अंकुश लगाया जा सके।
इस बात में तनिक भी संदेह नहीं है कि, गंदगी से कई तरह की बीमारियां पैदा होती हैं जो मानव जीवन के विकास में बाधा डालती हैं। अत: जन-जन को यह समझना होगा कि, स्वच्छता हमारे जीवन के लिए बहुत ही उपयोगी है। स्वच्छता को अपनाकर ही हम भविष्य में होने वाली बीमारियों को खत्म कर सकते हैं। 
स्वच्छता को बनाए रखने के लिए हमें इधर-उधर कचरा बिल्कुल भी नहीं फेंकना चाहिए। कचरा हमेशा संबंधित कूड़ेदान में ही फेंकना चाहिए। अंत में यहां पर यह कहना समीचीन होगा कि, स्वच्छता को अपनायें और देश को आगे बढ़ायें। बेहतर साफ-सफाई से ही भारत के गाँवों को आदर्श बनाया जा सकता है। अत: स्वच्छता के लिए दूसरों को भी प्रेरित करते रहें तभी  हमारा राष्ट्र प्रगति के नए-नए सोपानों को तय कर सकेगा।
(नोट- इस आलेख को तैयार करने में अन्य संदर्भों की मदद भी ली गई है।)              
                           

  संग्रह एवं प्रस्तुति --                  
 राजीव थपलियाल (प्रधानाध्यापक) राजकीय प्राथमिक विद्यालय मेरुड़ा संकुल केंद्र- मठाली           
 विकासखंड -जयहरीखाल          
 जनपद -पौड़ी गढ़वाल            
उत्तराखंड।

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