ऑन लाइन ई पत्रिका शिक्षा वाहिनी में पढ़िए रुद्रप्रयाग उत्तराखण्ड से एक बेहतरीन शिक्षिका नीलम बिष्ट जी की रचना नन्हा बचपन
*नन्हा सा बचपन*
वो मेरा नन्हा सा,बचपन
और बचपन का ,वो चाँद सुहाना।
चाँद की प्यारी सी ,चाँदनी में,
टिमटिमाते तारों का नहाना।
बचपन का...वो चाँद सुहाना।
वो मेरा नन्हा सा बचपन
और बचपन के वो, खेल निराले।
वो गुड्डे-गुडिय़ा की शादी,
कभी आँख-मिचौली,कभी छुपन-छुपाई।
बडे दिनों में,याद हैं आये,
जो हमसे अब हो गये अंजाने।
बचपन के वो खेल निराले।
वो मेरा नन्हा सा बचपन,
गर्मी की छुट्टियां और नानी घर जाना।
दिन-भर मस्ती ,धुमा-चौकडी।
भाई-बहन संग हंसना-गाना।
कभी रुस जाना, कभी मनाना।
मेरी यादों का वो अनमोल खजाना।
वो मेरा नन्हा सा बचपन.....
और उस बचपन का,ये ....ख्वाब निराला।
ख्वाब निराला....
*नीलम बिष्ट*
*सहायक अध्यापिका*
*रा.प्रा.विद्यालय रामपुर*
*विकासखंड-अगस्त्यमुनि*
*जिला-रुद्रप्रयाग*
*राज्य-उत्तराखंड*
सुन्दर रचना ।
ReplyDeleteबचपन के तो ठाठ निराले होते हैं।
जी बिल्कुल,
Deleteधन्यवाद
बहुत सुंदर कविता
ReplyDeleteधन्यवाद...
DeleteReally true panorama of childhood mam.
ReplyDeleteThnnnqqq so muchhh
DeleteThnqqqqq
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteधन्यवाद
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