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Monday, 28 November 2022

निपुण हिमाचल राज्य स्तरीय प्रशिक्षण

 #NIPUN_HIMACHAL_5_DAYS_FLN_MASTER_TRAINER_WORKSHOP_SHIMLA



बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान विषय पर आधारित पांच दिवसीय राज्यस्तरीय मास्टर ट्रेनर कार्यशाला में जाने का सुअवसर प्राप्त हुआ। 



यह मेरे जीवन की पहली राज्यस्तरीय ऐसी कार्यशाला थी जिसमें मैंने बताओ मास्टर ट्रेनर्स प्रशिक्षण प्राप्त किया। 


इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य निपुण भारत मिशन की तर्ज पर निपुण हिमाचल का निर्माण करना है। हम सभी जानते हैं कि बड़ी से बड़ी पढ़ाई शुरुआती आधारभूत शिक्षा पर ही निर्भर करती है यदि बच्चा कक्षा 3 तक बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान में निपुण हो जाता है तो आगे चलकर वह बड़ी से बड़ी पढ़ाई भी सरलता से कर लेगा।


इस कार्यशाला का आयोजन स्टार्स प्रोजेक्ट के तहत किया गया। जिसमें हमें मुख्य रूप से निपुण हिमाचल अभियान की समन्वयक डॉ मंजुला शर्मा जी का मार्गदर्शन मिला। इसके साथ साथ प्रथम एनजीओ संपर्क फाउंडेशन जैसे संस्थाओं ने भी उपरोक्त विषय पर प्रशिक्षण के दौरान अपनी बेस्ट प्रैक्टिसेज साझा की।



प्रशिक्षण में पूरे प्रदेश के 12 जिलों से 60 के करीब शिक्षकों ने हिस्सा लिया। यह 7 शिक्षक आगे जाकर अपने-अपने जिला में प्रत्येक शिक्षा खंड के कुछ चुनिंदा शिक्षकों को प्रशिक्षित करेंगे जो कि आगे चलकर अपने खंड के सभी शिक्षकों को प्रशिक्षित करेंगे ताकि हर विद्यालय तक निपुण हिमाचल का संदेश पहुंच सके और हर बच्चा निपुण बच्चा वह हर विद्यालय निपुण विद्यालय बन सके।


यह कार्यशाला कई महीनों में विशेष थी। कार्यशाला में नवीनतम तकनीक का प्रयोग करके प्रशिक्षण दिया गया। इस दौरान न केवल सैद्धांतिक बातें की गई बल्कि व्यावहारिक रूप से किस तरह से बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान के संपर्क दिखाए जा सकते हैं इस पर भी कई गतिविधियां की गई। कार्यशाला पूरी तरह से जहां संगठित थी तो वहीं इसमें लचीलापन को भी स्थान था ताकि समय परिस्थिति अनुसार कार्यशाला को ढाला जा सके।








कार्यशाला में हिंदी व गणित सिखाने के व्यवहारिक सूत्र, गतिविधियां, गीत, कविताएं व कहानियां अध्यापकों संग साझा की गई बल्कि अध्यापक  उनको विद्यालय में प्रयोग कर सकें। कार्यशाला में न केवल स्त्रोत व्यक्तियों द्वारा ही इस तरह की नवीनतम गतिविधियां साझा की गई बल्कि प्रतिभागी अध्यापकों को भी उनकी बेस्ट प्रैक्टिसेज साझा करने का अवसर दिया गया।


कार्यशाला में बहुत  सी उत्प्रेरक गतिविधियां प्रयोग में लायी गयी जिनका विद्यालय में प्रयोग करके बच्चों को कक्षा-कक्ष में सक्रिय अधिगम का सक्रिय प्रतिभागी बनाया जा सकता है। 


कार्यशाला के दौरान औपचारिक रूप से जितना सीखने को मिला उतना ही अनौपचारिक रूप से भी सीखने को मिला एक दूसरे प्रतिभागियों के अनुभव उनकी बेस्ट प्रैक्टिसेज और इसके साथ साथ प्रदेश के बेहतरीन चुनिंदा अध्यापकों के शिक्षा को लेकर विचार जानने का भी अवसर मिला।



इस दौरान राज्य परियोजना अधिकारी व निदेशक प्रारंभिक शिक्षा डॉ वीरेंद्र शर्मा जी को भी सुनने का अवसर मिला उनके संबोधन में एक बहुत बड़ी चिंता स्पष्ट रूप से देखी जा सकती थी और वह थी बच्चों के अभिभावकों के अरमान पूरे करने की चिंता। डॉ वीरेंद्र शर्मा जी अपने संबोधन के दौरान निरंतर यह कहते रहे कि एक अध्यापक होने के नाते हमें उन अभिभावकों के अरमानों को साकार करना है जो सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक देखते हैं यह संजोते हैं।


इस दौरान शिक्षक समाज के दायित्व या यूं कहें कि विशेष दायित्व को लेकर भी उन्होंने चिंता जाहिर की और कहीं ना कहीं व्यक्तिगत रूप से मैं भी इस बात से इत्तेफाक रखता हूं कि अध्यापकों को अपने कार्य को लेकर उत्तरदायी बनाया जाना बहुत आवश्यक है। जब तक उत्तरदायित्व निर्धारित नहीं होगा तब तक अपेक्षित या मनवांछित परिणाम कहीं ना कहीं हासिल कर पाना मुश्किल है।


डॉ मंजुला शर्मा जी के शिक्षा को लेकर व्यवहारिक विचार हमेशा ही प्रेरित करते हैं और इस बार लगातार पांच दिनों तक कार्यशाला में प्रतिभागी के रूप में उन्हें समझने और सुनने का शुभ अवसर मिला। हर छोटे-बड़े संप्रत्यय को एक समान गंभीरता के साथ समझा पाना एक बहुत बड़ा होना है जो कि एक मास्टर ट्रेनर होने के नाते हम सब ने उनसे सीखा।


समग्र, प्रथम और संपर्क यह तीनों नाम हिमाचल प्रदेश के शिक्षा विभाग में आए दिन सुनने को मिलते रहते हैं। यह तीनों ही संस्थाएं, एनजीओ और फाउंडेशन हिमाचल प्रदेश में शिक्षा विभाग के साथ कार्य कर रहे हैं ताकि हिमाचल प्रदेश के शिक्षकों को फैसिलिटेट किया जा सके। अगर दूसरे शब्दों में बात करें तो यह शिक्षकों के कार्य को सरल बनाने के लिए प्रयासरत हैं। 



समग्र की बात करें तो समग्र की पूरी की पूरी टीम उमंग भोला जी, माणिक जी व प्राची जी शिक्षा विभाग का वर्तमान समय में सारा तकनीकी कार्य संभाले हुए हैं और काफी हद तक अकादमिक कार्य में भी सहयोग दे रहे हैं। 


प्रथम एनजीओ हिमाचल प्रदेश में पिछले एक दशक से शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहा है जिसका कार्य शिक्षण अधिगम सामग्री का निर्माण करना, अध्यापकों के प्रशिक्षण में सहयोग देना और साथ ही साथ हिमाचल प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में आकलन को लेकर भी कार्य करना है। इस एनजीओ के हिमाचल प्रदेश प्रभारी योगेंद्र जी से काफी कुछ सीखने को मिला और प्रथम के बहुत से मास्टर ट्रेनर जैसे मैडम द्रौपदी, प्रेम प्रभा, पवन सर व अशोक सर जी से बहुत कुछ सीखने को मिला। 



संपर्क फाउंडेशन की बात करें तो हिमाचल प्रदेश में 29 करोड रुपए शिक्षा के क्षेत्र में निवेश करते हुए प्रदेश के हर स्कूल में गणित व अंग्रेजी की इनोवेटिव किट इनके द्वारा प्रदान की गई है इस कार्यशाला में इन दोनों किट का कैसे सफलता से प्रयोग किया जा सकता है इस पर एक बहुत अच्छे उन्मुखीकरण से गुजरने का अवसर मिला। संपर्क फाउंडेशन के दोनों ही मास्टर ट्रेनर भाई राजन अधिकारी जी और सुदर्शन जी ने बहुत अच्छी तरह से इस किट का प्रदर्शन किया।


राजन जी ने अपने बच्चे को एक सरकारी स्कूल में दाखिल करवाया है और विशेष बात यह है कि वे अपने बच्चे को होम स्कूलिंग से शिक्षण अधिगम करवा रहे हैं यानी वे घर पर ही अपने बच्चे को पढ़ा रहे हैं और सबसे अच्छी बात मुझे उनकी यह लगी कि जब उन्होंने कहा अगर वह किसी बड़े निजी विद्यालय में अपने बच्चे को पढ़ाते हैं तो अब तक 11 लाख के करीब फीस खर्च कर चुके होते लेकिन वही पैसा उन्होंने अपने बच्चे को सरकारी स्कूल में पढ़ा कर जहां एक और बचा लिया तो वही स्वयं अपने बच्चे पर घर में मेहनत करके होम स्कूलिंग के माध्यम से किसी बड़े निजी स्कूल के बच्चे के स्तर तक अपने बच्चे को पहुंचाया भी है। 



यह दृष्टव्य (उदाहरण) हमें सिखाता है कि कैसे सामुदायिक सहभागिता से और सरकारी विद्यालयों में अपने बच्चों के दाखिले से हम एक बेहतरीन शिक्षा की ओर आगे बढ़ सकते हैं।


इस दौरान जिला चंबा से हम 5 शिक्षकों ने इस कार्यशाला में हिस्सा लिया जिसमें शिक्षा खंड सुंडला से स्वयं मैनें, शिक्षा खंड चंबा से भाई उत्तम जी, शिक्षा खंड तीसा से भाई महाराज जी, शिक्षा खंड पांगी से भाई सुरेंद्र जी और शिक्षा खंड चौवाड़ी से भाई राजेंद्र जी शामिल रहे।



प्रदेश के अन्य जिलों से आए बेहतरीन कर्तव्यनिष्ठ प्रेरणादायक शिक्षकों से मिलकर कार्य करने की ऊर्जा में बढ़ोतरी हुई और उन सब से बहुत कुछ सीखने को मिला।


कार्यशाला के असंख्य अनुभवों में से कुछ अनुभवों को क्रमबद्ध करके यहां प्रस्तुत कर रहा हूं मुझे पूर्ण विश्वास है कि आने वाले समय में जिला व खंड स्तर पर भी यह प्रशिक्षण उसी खूबसूरती के साथ पूरा होगा जिस प्रकार राज्य स्तर पर पूरा हुआ है। ताकि निपुण विद्यालय, निपुण चंबा, निपुण हिमाचल व निपुण भारत का सपना पूरा हो सके।



धन्यवाद जय हिन्द...